۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
शाहीद

हौज़ा/अहमद मुतवस्सेलियान, ईरान पर सद्दाम शासन की ओर से थोपी गई आठ साल की जंग में मोहम्मद रसूलुल्लाह सत्ताईसवीं डिवीजन के कमांडर थे जो 4 जुलाई सन 1982 को लेबनान के त्राबलस से बैरूत जाते हुए रास्ते में ज़ायोनी शासन की साज़िश के तहत लेबनान की फ़्लान्जिस्ट पार्टी के छापामारों के हाथों अग़वा कर लिए गए थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अहमद मुतवस्सेलियान, ईरान पर सद्दाम शासन की ओर से थोपी गई आठ साल की जंग में मोहम्मद रसूलुल्लाह सत्ताईसवीं डिवीजन के कमांडर थे जो 4 जुलाई सन 1982 को लेबनान के त्राबलस से बैरूत जाते हुए रास्ते में ज़ायोनी शासन की साज़िश के तहत लेबनान की फ़्लान्जिस्ट पार्टी के छापामारों के हाथों अग़वा कर लिए गए थे।


इस्लामी क्रान्ति की कामयाबी के बाद अहमद मुतवस्सेलियान ने मोहल्ला कमेटी क़ायम करने की ज़िम्मेदारी अपने कांधों पर ली आईआरजीसी के गठन के बाद वह इसमें शामिल हो गए और क्रान्ति मुख़ालिफ़ और अलगाववादी गुटों का मुक़ाबला करने लगे।

सन 1981 में हज से वापसी के बाद आईआरजीसी की जनरल कमान की ओर से उन्हें मरीवान और पावेह के लोगों को भर्ती करके मोहम्मद रसूलुल्लाह ब्रिगेड बनाने और उसकी कमान संभालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। यह ब्रीगेड बाद में डिवीजन में बदल गई।

लेबनान का सफ़र

अहमद मुतवस्सेलियान सन 1982 के आग़ाज़ में एक मिशन पर एक उच्चस्तरीय कूटनैतिक शिष्टमंडल के साथ, जिसमें राजनैतिक व सैन्य मामलों के अधिकारी शामिल थे, सीरिया रवाना हुए ताकि लेबनान के पीड़ित व मज़लूम अवाम की मदद के रास्तों की समीक्षा हो सके।

अग़वा

4 जुलाई सन 1982 को अहमद मुतवस्सेलियान अपने तीन साथियों के साथ, ईरान के दूतावास में अपने कार्यालय जा रहे थे कि फ़्लान्जिस्ट पार्टी के हथियारों से लैस छापामारों ने उन्हें पकड़ लिया। उसके बाद से अब तक उनके बारे में कोई ठोस ख़बर नहीं मिल सकी है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामनेई ने एक मौक़े पर उनके परिवार के लोगों से बात करते हुए कहा थाः हम अलहाज अहमद मुतवस्सेलियान के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं, इंशाअल्लाह वह आएंगे, उन्हें शहीद न कहिए, हमें उनकी शहादत की ख़बर तो मिली नहीं है। इंशाअल्लाह ख़ुदावंदे आलम आपके बेटे को -वह जहाँ कहीं भी हैं, जिस तरह भी हैं, अपनी कृपा से नवाज़े। हम दुआ करते हैं कि इंशाअल्लाह, ख़ुदावंदे आलम इस मोमिन व नेक जवान को वापस लौटाए।

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